पवित्र क्रूस की दया की धर्म बहनों की शिक्षा दर्शिता

पवित्र क्रूस की दया की धर्म बहनें, संत फ्रांसीस असीसी की भावनाओं से पूर्ण प्रभावित और अपने संस्थापक की करिश्मा “सभी के प्रति करुणामय प्यार” से प्रोत्साहित होकर शिक्षा की प्रेरिताई को उक्त संस्थापक के आदर्श वाक्य “समय की आवश्यकता ही ईश्वर की इच्छा है” के रहस्य को पूर्ण करती है। हम अपने इस शिक्षा की प्रेरिताई को ऐसी महिला और पुरुष के निर्माण में समझते हैं, जो अपने जीवन में दूसरों के लिए कार्य करें और ‘न्यायपूर्ण तथा भ्रातृत्वमय समाज की स्थापना में सहयोग दें जिसकी भारत में युगानुरुप आवश्यकता है ।

हमारी शैक्षणिक संस्थाओं का लक्ष्य है-युवक-युवतियों में ऐसे व्यक्ति का निर्माण करना जो मानसिक रूप से समर्थ, व्यावहारिक रूप से दक्ष, नैतिक रूप से स्वस्थ, मनोवैज्ञानिक रूप से पूर्ण, ईश्वरीय आत्मा के प्रेम और स्वतंत्रता के लिए, विशेषकर उनके लिए जो ‘जरूरत मंद है, ऐसे मानवीय समाज की रचना में प्रयत्नशील हैं जो पूर्वाग्रह और अंधविश्वास से मुक्त तथा लिंग, धर्म, जाति और आर्थिक स्तर के बिना भेद-भाव के हों, जो पर्यावरण को सुरक्षित रख सके और जिसमें मानवता का सम्मान और आदर परिलक्षित हो ।

विद्यालय की प्रेरणा स्रोत आलिया की संत टेरेसा

प्रेरणा की स्रोत आबिला की संत तेरेसा का जन्म स्पेन के आबिला शहर में 1515 ई० में हुआ था। बचपन से वीरांगनाओं तथा संतों की जीवनी पढ़ना पंसद करती थीं। ये मनन चिन्तन द्वारा ईश्वर से प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित करती थीं। ईश्वरीय रहस्य को जानने की प्रवृति ने इन्हें प्रार्थना की ऊँची चोटी तक पहुँचाया । ये अपने जीवनकाल में ईश्वरीय प्रेरणा से अनेक मठों की स्थापना की । इनकी मृत्यु आल्बा में 4 अक्टूबर 1582 ई० को हुई । इनके प्रार्थना, तपस्या एवं ईश्वरीय ज्ञान के कारण इन्हें डाक्टर की उपाधि से विभूषित किया गया । इनके कुछ कथन इस प्रकार हैं :

1. एकांत में अपने अन्तः करण की जाँच पर ध्यान दें ।
2. किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर न कहें, अपने हृदय की भावनाओं को शांत एवं धैर्य से व्यक्त करें ।
3. किसी बात की घोषणा तब तक न करें जब तक उसकी सत्यता न जान लें ।
4. यदि कोई शास्त्र की बातें बोल रहा है तो उसे धैर्य से सुनें। शिक्षार्थी बनकर सुनें, और अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारें ।
5. हमेशा दूसरे का सेवक बने और प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर की खोज करें जिससे तुम्हारे हृदय में सबों के प्रति आदर एवं सम्मान हो ।
6. सृष्टि में ईश्वर की दूरदर्शिता एवं ज्ञान पर विचार करें एवं उनमें उनकी प्रशंसा करें ।
7. दूसरों की गलती न देखकर उनमें अच्छाइयों को देखें और अपनी गलती पर ध्यान दें।
8. भौतिक वस्तुओं से अपने को अलग रखें, ईश्वर को खोजें और उन्हें प्राप्त करें ।
9. कभी भी एक व्यक्ति की तुलना दूसरे से न करें. तुलना करना घृणित है ।
10. दूसरे के साथ विनम्र और अपने साथ सख्ती बरतें

पवित्र क्रूस की दया की धर्म बहनों का शैक्षिक उद्देश्य आगामी वर्षों के लिए

हम लोगों ने शैक्षणिक प्रेरिताई के गुण में वास्तविक परिवर्त्तन लाने के लिए निम्नलिखित सीमित प्रभावशाली उद्देश्यों को चुना है :

विद्यार्थियों को शैक्षिक सफलता के लिए तैयार करने के अलावे हम लोगों का लक्ष्य यह भी है कि उन्हें ज्ञान, आचार व्यवहार, जीवन-मूल्य तथा कार्य कुशलता के लिए तैयार करें, ताकि वे जीवन की परीक्षाओं का सामना कर सकें । ज्ञान :

1. शिक्षा को सुगम बनाना ताकि यह क्रियाशील, रचनात्मक तथा आनन्ददायी हो ।

2. बच्चों को सोचने-विचारने तथा निर्णय लेने के योग्य बनाना।

3. शिक्षा से प्राप्त ज्ञान को जीवन की परिस्थितियों से जोड़नातथा लागू करना ।

भावनाएँ:

1. बच्चों को ईश्वर के साथ सम्बन्ध जोड़ने तथा अपने दैनिक जीवन में उसको अनभव करने के लिए सिखाना ।

2. जाति-धर्म संस्कृति तथा लिंग से ऊपर उठकर विद्यालय परिवार एवं कुटुम्ब में एक दूसरे के साथ प्रेम, एकता, सम्मान तथा भावुकता उत्पन्न करना ।

3. शारीरिक श्रम द्वारा उन्हें श्रम की महत्ता समझाना 4. सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक तथा भौतिक तथ्यों के प्रति उनमें जागरूकता उत्पन्न करना ।

5. प्राकृतिक संरक्षण तथा उन तथ्यों के प्रति उनकी जिम्मेवारी जताना ।

कला कौशल :

 

1. उनको अवसर प्रदान करना ताकि वे अपनी सांस्कृतिक, सामुदायिक तथा शारीरिक कुशलता एवं क्षमताओं की खोज कर सकें तथा उनका विकास कर, उनको अनुशासित कर सकें ।

2. एक दूसरे के साथ सहयोग एवं शिष्टता पूर्ण व्यवहार करना (बच्चों को) सिखाना |