कार्यक्रम योजना

ज्ञान :-

  • व्यक्तिगत एवं दल में विभक्त करके सहयोगात्मक ज्ञान को सुगम बनाना ।
  • शिक्षक एवं विद्यार्थियों के द्वारा (विचार उत्तेजक प्रश्न
  • भूमिका (रोल प्ले), नमूना (मोडल्स) तथा इश्तहार (पोस्टर) बनाना ।
  • प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम (क्वीज) ।
  • समय-समय पर दूरदर्शन धारावाहिक, चलचित्र प्रदर्शन तथा स्थानीय सामयिक घटनाओं का मूल्यांकन करना ।
  • विषय से सम्बंधित जीवन की परिस्थितियों का उदाहरण प्राप्त/उपलब्ध करना

भावनाएँ :

I.  विशेष अवसरों पर, खासकर विद्यालय-सत्र के आरंभ एवं अन्त में स्कूल के कार्य दिवसों तथा शिक्षक-दिवस एवं अभिभावक दिवस में प्रार्थना सभा का आयोजन करना ।

  • सप्ताह भर के लिए चयनित विषयों का शीर्षक सूचना पट पर प्रदर्शित करना तथा सभा में प्रार्थना करना ।
  • खास अवसरों पर, जैसे जन्म दिन या विद्यार्थियों के परिवार में कोई दुःखद घटना ( त्रासदी) होने पर स्वैच्छिक प्रार्थनाओं के लिए प्रोत्साहित करना ।
  • प्रार्थना नये वातावरण को प्रोत्साहित करने वाले इस्तहार (पोस्टर) एवं प्रतीकों का उपयोग करना ।
  • शारीरिक स्वच्छता, वस्त्र, नाखून, बाल को सुव्यवस्थ रखने पर ध्यान देना ।
  • नीति-शिक्षा तथा ईसाई छात्राओं की धर्म-शिक्षा की पढ़ाई के समय ईश्वर का अनुभव बताने के लिए छात्राओं को प्रोत्साहित करना ।
  • विभिन्न विषयों को पढ़ाते समय इन्हें प्रकृति में ईश्वर के कार्य से जोड़ना (जैसे बीज का अनुकरण, गर्भ धारण, नवजीवन)।
  • विद्यालय से बाहर जाने वाले शिक्षार्थियों के लिए जीवन उन्मुखी कार्यक्रमों का आयोजन करना

II.  प्रार्थना सभा में विभिन्न धर्मग्रन्थों से उद्धरण का उपयोग करना तथा इस पर मनन-चिंतन करने के लिए अवसर देना (एक या दो मिनट )

  • विद्यार्थियों को पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों से लाभान्वित होने का अवसर प्रदान करना ।
  • विशेष अवसरों पर अन्तर धार्मिक प्रार्थना सभा का संचालन करना ।
  • वर्ग में शिक्षक-शिक्षार्थी में अभिवादन तथा जन्म दिवस की बधाई का आदान प्रदान का समय दिया जाता है ताकि वर्ग में शिक्षिका और शिक्षार्थी का आपसी सम्बन्ध एवं जानकारी बढ़ें।
  • विशेष अवसरों पर अन्तर धार्मिक प्रार्थना सभा का संचालन करना । वर्ग में शिक्षक-शिक्षार्थी में अभिवादन तथा जन्म दिवस की बधाई का आदान प्रदान का समय दिया जाता है ताकि वर्ग में शिक्षिका और शिक्षार्थी का आपसी सम्बन्ध एवं जानकारी बढ़ें। वर्ग में विद्यार्थियों के अच्छे कर्म के लिये उनकी प्रशंसा (बधाई) तथा अशोभनीय कर्म के लिये उन्हें सुधार के प्रति आकृष्ट किया जाता है ताकि वे अपने आचरण में परिवर्त्तन ला सकें।
  • इस बात पर ध्यान देते हैं कि शिक्षक और शिक्षार्थी एक-दूसरे का अभिवादन करें ।
  • वर्ग शिक्षिका और शिक्षार्थी इस बात पर ध्यान दें कि वे व्यक्तिगत बात-चीत अवश्य करें ताकि एक दूसरे को भली-भाँति जानकर, समझदारी, प्यार एवं भावुकता जगा सकें ।
  • विद्यार्थियों के द्वारा जो अच्छे कर्म या हानि किये जाते हैं उनके प्रति वर्ग में या सभा में छात्राओं का ध्यान आकृष्ट किया जाय ताकि उनके आचरण में परिवर्त्तन लाया जा सके, तथा जो छात्रा ऐसा नहीं करतीं हैं उसे भी वर्ग सभा में बताया जाय ।

III.  विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जाय कि वे बारी-बारी से अपने वर्ग की सफाई करें तथा सजाएँ ।

  • सफाई की प्रवृति विकसित करने के लिए छात्राओं का पथ-प्रदर्शन किया जाए ताकि वे विद्यालय प्रांगण को साफ रख सकें, यह काम बारी-बारी से हर वर्ग को दें।
  • विद्यालय भवन एवं परिसर की सफाई बनाये रखने की आदत डालने को प्रेरित करना ।

  • ( वरीय छात्राओं को बागवानी तथा पशुपालन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करें।)

IV.  संवेदनशील विषयों पर वाद-विवाद एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन करना ।

  • महत्वपूर्ण शिक्षा को पढ़ाई के लिए दलीय वाद-विवाद तथा रोल प्ले का आयोजन करना ।
  • दूर संचार साधनों का उपयोग करना, अखबार के कटिंग (कतरन) का संग्रह करना तथा उन्हें प्रदर्शिका पट पर लगाना ।
  • सामाजिक चलचित्रों को दिखाना तथा उनका मूल्यांकन करना ।
  • सामाजिक विषयों पर छात्रों को उद्बोधित करने के लिए। अनुभवी व्यक्तियों को आमंत्रित करना ।
  • नामसूची, वाद-विवाद एवं गोष्ठी का आयोजन करना ।

V.  विद्यालय प्रांगण तथा पड़ोस की गलियों की सफाई करना।

  • प्रकृति-भ्रमण, पौधों, पेड़ों तथा नदियों के नाम जानना ।
  • तरू मित्र का परिचय ।
  • रैलियों (समागम) का आयोजन करना ।
  • समाचार पत्रों में समाचार भेजना ।